दीमक (माइक्रोटर्मिस ओबेसी)
• बिजार्इ से कटार्इ तक बहुत नुकसान करती है। हल्की जमीन में कम नमी तथा अधिक तापमान की अवस्था में बहुत अधिक नुकसान होता है। यह कीड़ा ऐसे क्षेत्रों में बहुत ही हानिकारक है। अत: ऐसी भूमि में बीज उपचार करना बहुत ही आवश्यक हो जाता है।
बिजाई के समय दीमक का उपचार:
दीमक की रोकथाम के लिए 40 किलोग्राम गेहूँ के बीज को 60 मि.ली. क्लोरपाइरीफॉस 20 र्इ.सी. या 200 मि.ली. इथियोन 50 र्इ.सी. (फॉसमार्इट 50 र्इ.सी.) से उपचारित करें। इन कीटनाशकों में से किसी एक को पानी में मिलाकर 2 लीटर घोल बना लें। फिर बीज को एकसार फर्श पर बिछा दें और यह घोल ऊपर से छिड़क दें। बीज को हिला दें ताकि यह घोल सब बीजों को लग सके। उपचारित बीज को रात भर सूखने के बाद ही बोयें। उपर्युक्त उपचार से बीज फूल जाते हैं। इसलिए सीड-ड्रील का डिसचार्ज रेट 10 प्रतिशत बढ़ा दें।
खड़ी फसल में दीमक का उपचार:
• गेहूँ की खड़ी फसल में दीमक का आक्रमण होने पर 2 लीटर क्लोरपाइरीफॉस 20 र्इ.सी. को 2 लीटर पानी में मिलाकर ऐसे कुल 4 लीटर घोल को 20 किलोग्राम रेत में मिलाएं व इसके बाद एक एकड़ गेहूँ की फसल में एकसार भुरकाव करके सिंचार्इ कर दें।
नोट : 1.गोबर की कच्ची खाद का प्रयोग न करें।
2.पिछली फसल के अवशेषों को नष्ट कर दें।