सिंचाई

  • वैसे तो चने की बिजार्इ बारानी क्षेत्रों मे ही प्राय: की जाती है परन्तु सिंचार्इ करने से बहुत ही अच्छे परिणाम मिले हैं। 
  • सिंचार्इ : जहां हो सके,फूल आने से पहले बिजार्इ के 45 से 60 दिन के बीच एक सिंचार्इ करें। यदि मध्यम दर्जे की बलुर्इ-दोमट जमीन में बिजार्इ से पहले भारी सिंचार्इ कर दी हो तो एक सिंचार्इ वर्षा न होने की अवस्था में टांट (फलियां) विकसित होने की अवस्था पर जरूर करें ताकि दाने पतले/कमजोर न रहें।
  • अधिक सिंचार्इ से पौधों की बढ़वार अधिक होती है। गेहूँ-धान फसल चक्र वाले क्षेत्र में चने की कोर्इ सिंचार्इ न करें।

      5000 माइक्रोम्होज/सैं.मी. तक की विद्युत चालकता वाला सल्फेट बहुल (SO4=79%या अधिकखारा पानी 400मि.मी. तक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों मेंअच्छे जल निकास वाली भूमि में बलुर्इ-दोमट मिट्टी में चने के लिए प्रयोग किया जा सकता है लेकिन 2000 माइक्रोम्होज/सैं.मी. से अधिक विद्युत चालकता वाले क्लोरार्इडबहुल (Cl=50% याअधिक) पानी का सिंचार्इ के लिए प्रयोग न करें।